Thursday, 11 June 2015

Bhajan :: जुंगली दरखतो | Jangli darakhto

जुंगली दरखतो के दरमियाँ एक सेब के पेड़ के समान (2)
नज़र आता है मुझे आई मसीह (2) सारे सॅंटो के बीच मे तू (2)
हंड करू मे तेरी ए प्रभु अपने जीवन भर इस जंगल के सफ़र मे 
गाऊँ शुक्रा गुज़री से मे (2) 

तू ही है नरगिस आज शॅरन का, हाँ तू सोसन भी वादियो का (2)
संतों मे तू है आती पवितरा (2) केसे केमिल और शान से भरा (2)
हंड करू मे तेरी ए प्रभु अपने जीवन भर इस जंगल के सफ़र मे 
गाऊँ शुक्रा गुज़री से मे (2) 

इतरा के जैसा है तेरा नाम खुश्बू फैलता है जहाँ मे (2)
तंगी मुसीबत और बदनामी मे (2) बना खुश्बुदार तेरे समान (2)
हंड कॉयार मे तेरी एई प्रभु अपने जीवन भर इस जंगल के सफ़र मे (2)
गाऊँ शुक्रा गुज़री से मे (2) 

घबराहट की लहरो से गर, दुख मुसीबत के सागर मे (2)
अपने जोरवार हाथ को बढ़ा (2) मुझे अपने सीने से लगा (2)
हंड करू मे तेरी ए प्रभु अपने जीवन भर इस जंगल के सफ़र मे 
गाऊँ शुक्रा गुज़री से मे (2) 

अभी आ रहा हू तेरे पास पूरी करने को तेरी मर्ज़ी (2)
ताकि दे डू मे कम को अंजाम (2) पऔँ तेरे दीदार मे इनाम (2)
हंड करू मे तेरी ए प्रभु अपने जीवन भर इस जंगल के सफ़र मे 
गाऊँ शुक्रा गुज़री से मे (2)